उषारा
उषारा, उसारा, आदि गोत्र समान हैं ।
Origin
History
ऊषा, व उषारा (उसारा) आदि मीणाओं की अनेक पीढियां और उनकी परंपरा यादवों से ज्यों की त्यों मिलती हैं । यथा आद, जुगाद, अंग, विराट, नारायण, नाभ, कमल, ब्रह्मा, अत्रि, चन्द्र, बुद्ध, पुरुखा, बृजनिवास, उषाक-शत्रुजित, शूरसेन, वसुदेव कृष्ण, पृद्धुन्न, अनिरूद्ध, वज्रनाभ, इत्यादि। इतिहास कल्पद्रम में लिखा है कि वज्रनाभ के उपरांन्त सभी नरेश जैन हो गये थे। उनके नाम प्रतिवाहु, सुबाह, शान्तसेन इत्यादि थे।
प्रभाव क्षेत्र के कट्टे से बचे यादव उषारे लोग बूंदी की ओर आये और वहां की मेर जाति को परास्त कर ”’मयनालय”’ नामक देश पर राज्य करने लगे। अत्यंत रूपवान होने से जनसाधारण इनको मदना, मयणा, मैन, मयण, मैयना कहने लगे और इनके द्वारा आबाद देश मैनाल, मैनवाड़ा, मैनालय नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस संदर्भ में कर्नल टाड लिखते हैं कि सर्वप्रथम यह देश मेरों के आधीन था इसके उपरांत मैनों के फ़िर हूंणों के बाद गहलोतों, फ़िर मुसलमानों के, फ़िर मेरों के और सबके अनन्तर कोल्हन के पुत्र राव बागा ने मैनाल देश पर अपना अधिकार किया। बूंदी के उषारों की मैना संज्ञा अति प्राचीन है। इस संदर्भ में भाट कहते हैं:-
कांकस पबड़ी काबरा, दूमालों की दौर।
पहिले मीना उषारा, पीछे मीना और॥
Population
Distribution
बूंदी एवं मैनाल क्षेत्र में पाये जाते हैं ।